शांति वीर धर्म स्थल पर प्रातः 7:00 बजे जैन मुनि श्रुतेशसागर जी सागर महाराज छुल्लक सुप्रकाश सागरजी महाराज के परम सानिध्य में महान तपस्वी जैन संत आचार्य आदि सागर अंकलीकर महाराज का जन्म जयंती महोत्सव अपार धर्म प्रभावों के साथ मनाया गया
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प्रथम विद्यांजलि देने का सौभाग्य महावीर कुमार सरावगी को मिला उन्होंने बताया दक्षिण के छोटे से ग्राम अंकलीकर में आपका जन्म हुआ था इसलिए आप अंकलीकर कहलाये है जैन धर्म की तप साधना में आप हमेशा तलिन रहते थे जिस गांव में आपका जन्म हुआ 90% जैन परिवार रहते थे आप बचपन में कृषि का कार्य करते थे संसार से वैराग्य उत्पन्न होने पर आपने छुल्लक दीक्षा लेकर दिगंबर मुनि कुथलगिरी में बने
दिगंबर मुनि परंपरा को कायम रखते हुए 22 दिगंबर मुनि और 12 माताजी को अपने दीक्षा दी
आप दिगंबर में पहले संत थे जो प्राणी मात्र को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था जिओ की रक्षा करना आपने बताया
जैन धर्म के महान संत आदि सागर अंकलीकर थे
जिओ की रक्षा करना ही उनका शब्द उपदेश था
जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने धर्म सभा को बताया
बचपन से ही आप में परिवार के धार्मिक गुण कूट-कूट कर भरे थे
आप सत्य अहिंसा जैन धर्म के प्राण थे आपका जीवन त्याग मय थाआप सदैव जंगलों में रहते थे और 7 दिन में एक बार आहार करते थे
एक ही वस्तु आप एक बार में ग्रहण करते थे आप आहार में छुहारा आम केले आदि फल ग्रहण करते थे
जंगलों में कटीली झाड़ियां के बीच खड़े होकर भगवान का ध्यान करते थे
ग्रस्त जीवन में आप बहुत बलसारी थे कोहिनूर की गुफा में आपके पास शेर आया था वह प्रशिक्षण देकर चला गया
जैन धर्म का बीजारोपण करने वाले आप पहले संत थे जिन्होंने जैन धर्म को प्राणी मात्र को बताया बताया
आज भक्तामर के पुण्र्याजन जिनेंद्र कुमार देवेंद्र कुमार मारवाड़ा परिवार द्वारा सभी कार्य संपन्न हुए
वर्षा योग समिति ने परिवारजनों का स्वागत सम्मान किया
स्रोत- जैन गजट, 8 सितंबर, 2024 पर: https://jaingazette.com/jainacharya-aadi-sagar-anklikar-maharaj/
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2 Comments
James martin
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