मदुरै जिले के मेलुर तालुक में अरिट्टापट्टी और मांगुलम स्थानों की प्राचीन जैन विरासत को बचाने के लिए 28 दिसंबर, शनिवार को ‘अहिंसा वॉक’ संस्था द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
मदुरै जिले के मेलुर तालुक में अरिट्टापट्टी और मांगुलम स्थानों की प्राचीन जैन विरासत को बचाने के लिए 28 दिसंबर, शनिवार को ‘अहिंसा वॉक’ संस्था द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। जिनकांची (मेल सितामुर) मठ के वरिष्ठ भट्टारक लक्ष्मीसेन की उपस्थिति में यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन चेन्नई कलक्टर कार्यालय के बाहर किया गया, जिसमें महिलाओं और नवयुवकों सहित सैकड़ों व्यक्तियों ने भाग लिया। बताया गया कि केन्द्र सरकार ने वेदांता कंपनी की सहायक हिंदुस्तान जिंक को अरिट्टापट्टी और मांगुलम में टंगस्टन खनन का लाइसेंस दिया है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि केन्द्र सरकार अरिट्टापट्टी और मांगुलम में टंगस्टन खनन के लाइसेंस को तुरंत निरस्त करें। उन्होंने काली पट्टी बांधकर बचाओ! बचाओ! ऐतिहासिक धरोहर को बचाओ जैसे नारे लगाए। भगवान महावीर फाउंडेशन के संस्थापक राजस्थान-रत्न सुगालचंद जैन ने इस अभियान के लिए अपना पूरा समर्थन जताया। साहित्यकार राजस्थानश्री डॉ. दिलीप धींग ने कहा कि तात्कालिक लाभ-लोभ के लिए तमिल-ब्राह्मी लिपि के अभिलेख, कला, शिल्प, संस्कृति और इतिहास की अनमोल विरासत को मिटाना तथा पर्यावरण को नष्ट करना बुद्धिमानी नहीं है।
तमिलनाडु राज्य अल्पसंख्यक आयोग में सदस्य पी. राजेन्द्र प्रसाद, तमिल पत्रिका मुकुडै के संपादक प्रो. कनक अजितदास, अहिंसा वॉक के संस्थापक ए. श्रीधरन आदि वक्ताओं ने कहा कि इस क्षेत्र में अनेक गाँव हैं। खनन से हजारों लोगों की आजीविका और शांत ग्राम्य जीवन तहस-नहस हो जाएगा। खनन होने से इस क्षेत्र के लगभग 2400 वर्ष पुराने पुरातात्विक स्थल, स्मारक और अभिलेख नष्ट हो जाएंगे। अरिट्टापट्टी तमिलनाडु का प्रथम जैव विविधता संरक्षण क्षेत्र है। यहां जीवों की 250 प्रजातियां हैं। यह जलग्रहण क्षेत्र भी है। खनन से पर्यावरण, जैव विविधता, पारिस्थितिकी और खेती-बाड़ी को भी बेहिसाब नुकसान पहुंचेगा। तमिलनाडु सरकार, देश-प्रदेश के बुद्धिजीवी और पर्यावरण प्रेमी भी केन्द्र सरकार के इस कदम के पक्ष में नहीं है। इस अवसर पर शशिकला, डी. रविचंद्रन, टीडी दास, पोन विजय कुमार, एमडी पांडियन, संजय सुकुमार, धनंजय और बाबू भी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रो. कनक अजितदास को कवि डॉ. दिलीप धींग द्वारा संपादित अष्टपाहुड ग्रंथ भेंट किया गया।
स्रोत- जैन गजट, 30 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/aritapati-or-mangulam-jain-kendra-bachane/
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.