आज के पंचम काल में दिगंबर साधु एक साक्षात भगवान के रूप में देखे जा रहे हैं
दिगंबर साधु एक ऐसी मुद्रा है जो संसार के सभी वस्तुओं का त्याग कर केवल मात्र अपने हाथ में एक पिछी कमंडल के सिवा अन्य वस्तु नहीं रखते
सभी वस्तुओं के त्यागी दिगंबर मुनिराज होते हैं तपस्या की महिमा त्याग की मूरत देखना है तो दिगंबर साधु को देखें
नैनवा दिगंबर जैन मुनि सविज्ञ सागरजी महाराज
जिला बूंदी 27 अगस्त 2024
की नवम 9 रोज से तप साधना
आचार्य चतुर्थ पटाधीश सुनील सागर जी महाराज के परम पावन शिष्य वर्षा योग कर रहे हैं आचार्य सुनील सागर गुरुदेव की आशीष कृपा से शांति वीर धर्म स्थल बिस पथ जिनालय पर
यह धर्म साधना दिगंबर जैन मुनि की एक अनोखी पहचान है अपने शरीर में किसी भी प्रकार का निर्जला रहकर प्रतिदिन सत उपदेश देकर आने वाले का जीवन का कल्याण का मोक्ष मार्ग परिशिष्ट कर रहे हैं
आज के पंचम काल में दिगंबर साधु एक साक्षात भगवान के रूप में देखे जा रहे हैं
दिगंबर साधु एक ऐसी मुद्रा है जो संसार के सभी वस्तुओं का त्याग कर केवल मात्र अपने हाथ में एक पिछी कमंडल के सिवा अन्य वस्तु नहीं रखते
सभी वस्तुओं के त्यागी दिगंबर मुनिराज होते हैं तपस्या की महिमा त्याग की मूरत देखना है तो दिगंबर साधु को देखें
मुनि ने बताया जो बीत जाएगी वही तो उपदेश देते हैं वह भगवान कहलाते हैं जैन धर्म में 24 तीर्थंकर होते हैं जबकि सिद्ध भगवान अनंत है प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव आदिनाथ और वह वर्ष पूर्व अयोध्या में जन्मे थे उनके पिता नाभी राय और माता मरु देवी थी उनका विवाह हुआ था भारत बाहुबली आदि उनके 101 पुत्र थे ब्राह्मी सुंदरी के दो उनकी पटरिया थी उन्होंने राज्य करते हुए अपने पुत्र पुत्री को भी अनेक कलाओं से पारंगत किया बड़ी पुत्री ब्राह्मी को लिपि का ज्ञान कराया जिससे बाय लिपि प्रसिद्ध हुई छोटी पुत्री सुंदरी को अंक ज्ञान कराया को का आविष्कार हुआ जिससे शून्य का अंको का आविष्कार हुआ
तप वह धर्म की साधना मुनि की पहचान कि सबसे अंग बताया
आसपास के ग्रामीण गांवो से प्रतिदिन मुनिराज के दर्शनों की भीड़ लगी हुई है
नैनवा का यह पहला वर्षा योग है
तीन-तीन दिगंबर साधुओं का वर्षा योग अपार धर्म प्रभावना संपन्न हो रहा है प्रतिदिन शाय काल भक्तांबर स्तोत्र के 48 दीपक चढ़ा,कर पाठ किया जा रहा है अनेकों लोगों को धर्म लाभ प्राप्त हो रहा है
स्रोत- जैन गजट, 28 अगस्त, 2024 यहां:https://jaingazette.com/9-roz-hua-jain-muni-savigyaसागर/
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2 Comments
James martin
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