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जैन तीर्थों पर कब्जा करना न केवल गलत है

जैन तीर्थों पर कब्जा करना न केवल गलत है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता के खिलाफ भी है। हमें सभी धर्मों और समुदायों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और समाज में शांति और समरसता बनाए रखने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए। 

जैन तीर्थों पर कब्जा करना न केवल गलत है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता के खिलाफ भी है। हमें सभी धर्मों और समुदायों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और समाज में शांति और समरसता बनाए रखने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए। जैन तीर्थ स्थल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं, और इन पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा उस समुदाय के आस्थाओं और विश्वासों का उल्लंघन करता है। जैन तीर्थों में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरें संरक्षित होती हैं, जो शिल्पकला, वास्तुकला और धार्मिक चित्रकला का अद्वितीय उदाहरण हैं। इन स्थलों पर कब्जा करने से इन धरोहरों को खतरा हो सकता है, जिससे समृद्ध जैन संस्कृति और इतिहास का संरक्षण प्रभावित होता है। किसी धार्मिक स्थल पर कब्जा करने से विभिन्न समुदायों के बीच तनाव और विवाद उत्पन्न हो सकता है। यह न केवल जैन समुदाय को मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है, बल्कि समाज में असहमति और संघर्ष को भी बढ़ाता है, जो सामूहिक एकता को कमजोर कर सकता है। ऐसे मामलों में कानूनी विवादों का सामना करना पड़ता है, जो लंबे समय तक चल सकते हैं। यह न केवल प्रशासनिक समस्याओं का कारण बनता है, बल्कि इससे समाज में असंतोष और तनाव भी उत्पन्न होता है, जो सामाजिक शांति के लिए हानिकारक होता है।
जैन तीर्थों को ज़मीन माफिया से बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:-
जैन तीर्थ की ज़मीन पर स्पष्ट और सटीक स्वामित्व कागजात होना ज़रूरी है, ताकि कोई भी अवैध कब्जा न कर सके।
स्थानीय अधिकारियों से समन्वय करके यह सुनिश्चित करें कि भूमि को धार्मिक या सांस्कृतिक उपयोग के रूप में निर्धारित किया जाए, जिससे अन्य निर्माण कार्यों पर रोक लग सके।
तीर्थ स्थल का सरकारी भूमि रिकॉर्ड में पंजीकरण कराना ज़रूरी है, ताकि यह एक संरक्षित धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हो।
भूमि माफिया के बारे में स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सूचित करना चाहिए, ताकि अवैध गतिविधियों पर लगाम लगे।
जैन तीर्थों को देश के धरोहर स्थलों के रूप में अधिसूचित करने के लिए सरकार से पहल की जा सकती है, ताकि यह कानूनी रूप से संरक्षित रहें।
राज्य सरकार भूमि कब्जे और अवैध गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए एक विशेष सुरक्षा दल बना सकती है।
तीर्थ स्थलों की संपत्ति का विस्तृत रिकॉर्ड बनाकर उसे डिजिटल रूप से संरक्षित किया जा सकता है, जिससे किसी भी विवाद की स्थिति में आसानी से साक्ष्य उपलब्ध हो सके।
जैन तीर्थों की सुरक्षा के महत्व को समाज में फैलाने के लिए सार्वजनिक अभियान चलाए जा सकते हैं, जिससे लोगों का समर्थन प्राप्त किया जा सके।
इन कदमों से जैन तीर्थों को भूमि माफिया से सुरक्षित किया जा सकता है, और उनके महत्व को बनाए रखा जा सकता है।

स्रोत- जैन गजट, 2 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/jain-tirthon-par-kabja-karna-na-keval-galat/

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2 Comments

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