चरमोत्कृष्ठ आस्था है मोक्ष : मुनि श्री सुप्रभसागर
मुनिश्री बोले मोक्ष प्राप्ति हर जीव के लिए उच्चतम लक्ष्य
शांतिनाथ अतिशय क्षेत्र बानपुर में
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज, श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज, आर्यिका श्री विजिज्ञासामती माता जी ससंघ के सान्निध्य में चल रहे श्री आदिनाथ श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में शुक्रवार को पंचकल्याणक महोत्सव में आखरी दिन तीर्थंकर भगवान का मोक्षकल्याणक भारी आस्था श्रद्धा के साथ मनाया गया। साथ ही जिन बिम्ब स्थापना की गई।
शुक्रवार को मोक्षकल्याणक की क्रियाएं की गईं जिसमें प्रातः पात्र शुद्धि ,अभिषेक,शन्तिधारा,नित्य महापूजन के साथ आरंभ हुयीं। तीर्थंकर भगवान को प्रातः मोक्ष की प्राप्ति हुई। जैसे ही तीर्थंकर भगवान के मोक्ष जाने की घोषणा प्रतिष्ठाचार्य ने की उपस्थित सैकड़ों भक्तों ने जयकारों से आकाश गुंजायमान कर दिया, लोग खुशी से नृत्य करने लगे। विविध प्रकार के वाद्ययंत्र बजाए गए। मोक्ष कल्याणक की पूजन की गई। आयोजन के अंतिम दिन विश्व शांति की कामना के साथ विश्व शांति महायज्ञ पूर्णाहुति हवन किया गया। शांतिपाठ और विसर्जन भी किया गया।
इस मौके पर मुनि श्री सुप्रभ सागर जी मुनिराज ने अपने प्रवचन में कहा कि वास्तव में मोक्षगमन जैन दर्शन के चिंतन की चरमोत्कृष्ठ आस्था है जो प्रत्येक हृदय में फलित होना चाहिए।मोक्षगमन को देखना इस निश्चय को दोहराना है कि जीवन के सभी कार्य तब तक सफल नहीं कहे जा सकते जब तक उसका अंतिम लक्ष्य मोक्षगमन न हो।उन्होंने कहा कि तीर्थंकर भगवान कषाय, काय से रहित हुए, अभी हम इन दोनों से युक्त हैं।
उन्होंने कहा कि मोक्ष का अर्थ है आठ कर्मों से मुक्ति। जैन दर्शन के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने के बाद जीव (आत्मा) जन्म मरण के चक्र से निकल जाता है और लोक के अग्रभाग सिद्धशिला में विराजमान हो जाती है। सभी कर्मों का नाश करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मोक्ष के उपरांत आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त सुख, और अनन्त शक्ति में आ जाती है। ऐसी आत्मा को सिद्ध कहते है। मोक्ष प्राप्ति हर जीव के लिए उच्चतम लक्ष्य माना गया है। सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चरित्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पंचकल्याणक महोत्सव के पात्र माता- पिता वीरेंद्र कुमार जैन,सौधर्म इंद्र सुनील कुमार- प्रीति सुंदरपुर , कुबेरइंद्र इन्द्रकुमारजैन – आरती बानपुर, महायज्ञनायक नितिन जैन- नम्रता जैन टीकमगढ़, यज्ञनायक रवींद्र कुमार- शोभा बानपुर, ईशान इंद्र राजेश जैन- राजुल सिंघई बानपुर , सानतइंद्र सुनील कुमार-आभा सिंघई बानपुर, माहेंन्द्र इन्द्र सुनील जैन- ममता सिंघई बानपुर, लांतवइंद्र पवन जैन- साधना सिंघई बानपुर, ध्वजारोहण कर्ता नायक देवेंद्र कुमार जैन , महेन्द्र नायक, इंदु जैन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
विधि विधान की क्रियाएं ब्र. साकेत भैया के मार्गदर्शन में प्रतिष्ठाचार्य पंडित मुकेश शास्त्री गुड़गांव, प्रतिष्ठाचार्य पंडित अखिलेश शास्त्री ने संपन्न कराईं।
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मुनिसंघ का बानपुर पंचकल्याणक के बाद गुढ़ा पंचकल्याणक के लिए हुआ पद विहार :
उत्कर्ष समूह के निर्देशक डॉ. सुनील संचय ने बताया कि मुनि श्री सुप्रभसागर महाराज ससंघ का पद विहार शुक्रवार को पंचकल्याणक महोत्सव सम्पन्न होने के बाद हो गया। 30 नवम्बर से मुनिश्री के सान्निध्य में गुढ़ा में पंचकल्याणक महोत्सव होने जा रहा है, शनिवार को मुनिसंघ का गुढ़ा में भव्य मंगल प्रवेश होगा।
गुढ़ा में 30 नवम्बर से 5 दिसम्बर तक पंचकल्याणक महोत्सव आयोजित होगा जिसमें शनिवार को ध्वजारोहण, घटयात्रा के साथ ही गर्भ कल्याणक का पूर्व रूप मनाया जाएगा।
स्रोत- जैन गजट, 30 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/moksh-kalyanak-va-shanti-mahayag/
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2 Comments
James martin
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