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शान्तियज्ञ के चौबीस हवन कुंड में आहुति के साथ विधान का हुआ समापन

जनकपुरी ज्योति नगर जैन मंदिर में उपाध्याय श्री 108 वृषभानंद जी मुनिराज स संघ के पावन सानिध्य में पाँच दिवसीय श्री जिन सहस्र नाम विधान का हुआ भव्य समापन

 

शान्तियज्ञ के चौबीस हवन कुंड में आहुति के साथ विधान का हुआ समापन

पाँच दिन में श्री १००८ जिनेंद्र देव के १००८ नामों का हुआ अभिवन्दन पूजन

जनकपुरी- ज्योतिनगर जैन मंदिर में उपाध्याय श्री १०८ वृषभा नन्द जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में चल रहे पाँच दिवसीय श्री जिन सहस्र नाम विधान पूजन (दुखों से मुक्ति ) के कार्यक्रम में अंतिम दिन मंगलवार को इंद्र इन्द्राणियों द्वारा भगवान के एक सो आठ नामों के एक सो आठ अर्घ मण्डल पर भक्ति भाव के साथ चढ़ाये गए तथा शान्तियज्ञ के चौबीस हवन कुंड में आहुति दी गई, कार्यक्रम में प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम् जैन बिलाला ने बताया कि विधान आचार्य वसु नन्दी जी महामुनिराज द्वारा रचित है ।

 विधान में प्रातः विधान मण्डल पर श्रीजिन की शांति धारा सौधर्म इंद्र मयंक पाटनी व सुनील ठोलिया ,प्रकाश गंगवाल ,इंद्र कुमार जैन , शिखर चंद जैन,महायज्ञ नायक ज्ञान चंद जैन ,सौरभ जैन ,सुनील सेठी ,कुबेर महावीर बिंदायक्या , प्रदीप चाँदवाड़ , जिनेंद्र जैन , आदि द्वारा की गई कार्यक्रम में विधानाचार्य नमन जैन ने व संगीतकार ऋषभ जैन द्वारा संगीतमय विधान भक्ति भाव के साथ कराया गया। विधान के दौरान उपाध्याय वृषभा नन्द जी द्वारा प्रवचन का कार्यक्रम हुआ उपाध्याय संघ के पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट का पुण्य लाभ ज्ञान चंद सुशीला जैन को प्राप्त हुआ । 

पूजन विधान व शान्तियज्ञ में तारा चंद गोधा ,राजेंद्र ठोलिया ,विनय सेठी ,सोभाग अजमेरा ,माणकपहाड़िया ,जे के जैन ,कमलेश पाटनी ,देवेंद्र कासलीवाल, तारा चन्द साखुनियाँ आदि सहित इन्द्राणियों ने भाग लिया, कार्यक्रम में वृषभा नन्द जी ने भरी धर्म सभा में श्रृद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी की पहचान करनी है तो उसकी वाणी सुन लीजिए, वाणी से ही मित्र व शत्रु बन जाते है । वाणी में अपना बनाने की बहुत शक्ति है, वाणी में हमेशा मिठास रखे ।एक शब्द महाभारत रच देता है ।इधर प्रवचन के बाद अष्ट द्रव्य से भक्ति के साथ गुरु पूजन की गई ।बाद में 24 हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलन कर श्रेष्ठियों ने मंत्रोचरण के साथ स्वाहा, स्वाहा के स्वर को गुंजायमान करते हुए शांति यज्ञ में दशांग धूप व कपूर अर्पित करते हुए विधान का समापन किया, कार्यक्रम बाद उपाध्याय श्री ने सभी श्रृद्धालुओं को मंगलमय आशीर्वाद प्रदान किया।

स्रोत- जैन गजट, 28 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/shantiyag-k-chaubis-havan-kund-mai-ahuti/

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