मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज एवं उनके संघ के मार्गदर्शन में 48 दिवसीय भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है
धरियावद, 28 जुलाई। श्री क्षेत्र सिद्धांत तीर्थ संस्थान नंदनवन (धरियावद) में दिगंबर जैन मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज 19 पिच्छी संघ के सान्निध्य में, बाल ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी के कुशल निर्देशन में एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठाचार्य पंडित हंसमुख जैन, प्रतिष्ठाचार्य पंडित विशाल के मार्गदर्शन में जैन श्री क्षेत्र में 48 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र महामंडल विधान पूजन का आयोजन कर रहे हैं। इसमें प्रेम की मूर्ति, प्रज्ञाश्रमण बालयोगी मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज 48 श्लोकों का पाठ कर मंत्रोच्चार के साथ अर्घ्य चढ़ा रहे हैं और तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की स्तुति कर रहे हैं।
दिगम्बर जैन समाज के अशोक कुमार जेतावत ने बताया कि दिगम्बर जैन मुनि पुण्य सागर जी महाराज ससंघ का वर्ष 2024 का वर्षायोग समाधिस्थ आर्यिका विशुद्ध मति माताजी की साधना एवं समाधि स्थली नंदनवन (धरियावद) में चल रहा है। 21 वर्षों के बाद इस क्षेत्र में वर्षायोग आयोजित करने का सौभाग्य तीर्थ संस्थान को प्राप्त हो रहा है। 25 जुलाई को क्षेत्र में मुनि संघ का मंगल प्रवेश हुआ तथा वर्षायोग मंगल कलश की स्थापना की गई। 26 जुलाई से 11 सितम्बर 2024 तक 48 दिवसीय भक्तामर महोत्सव धार्मिक प्रभावना के साथ स्तोत्र महामंडल विधान पूजन का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन अलग-अलग पुण्यार्जक परिवार पूजन में भाग लेकर पुण्य कमा रहे हैं। प्रतिदिन प्रातः श्रीजी का जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक, महाशांतिधारा, नित्य नियम पूजन, विधान पूजन, मुनि श्री के प्रवचन का आयोजन क्षेत्र में किया जा रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मुनि श्री के धार्मिक एवं मार्मिक प्रवचनों का श्रवण कर रहे हैं और धार्मिक लाभ ले रहे हैं। श्रावक-श्राविकाएं लगातार आहार और वैयावृत्ति का लाभ ले रहे हैं।
संघ के मुनि श्री महोत्सव सागर जी महाराज की लगातार उपवास साधना चल रही है। मुनि श्री का रविवार को 14वां उपवास था। इस दिन, अष्टमी पर्व पर संघ के सभी मुनि और आर्यिकाओं ने उपवास किया। पिच्छिधारी कोई भी व्यक्ति भोजन के लिए नहीं उठा।
बुजुर्गों की सेवा करने वाला बुद्धिमान होता है - मुनि पुण्य सागर
बुजुर्गों की सेवा करने से बुद्धि, धन, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है जो व्यक्ति इनकी सेवा करता है, वह बुद्धिमान है। भगवान, शास्त्र और गुरु के क्षेत्र में की गई सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती। उक्त विचार दिगंबर जैन मुनि पुण्य सागर जी महाराज ने रविवार को आयोजित प्रातःकालीन धर्मसभा में व्यक्त किए। मुनि श्री ने कहा कि बुद्धि, ज्ञान सब हमारे मस्तिष्क में भरा हुआ है। हमारे मस्तिष्क में सैकड़ों कोशिकाएं होती हैं। हमारा मस्तिष्क ही सबसे बड़ी कोशिका है। बुद्धि और विचारों का भण्डार। हर कोई अपने कर्म के अनुसार बुद्धि का उपयोग करता है। बुद्धि बड़ों की संगति से आती है और कर्म के अनुसार प्राप्त होती है। हमें कम पढ़ना चाहिए और अधिक सोचना चाहिए। इसी तरह हमें कम बोलना चाहिए और अधिक सुनना चाहिए। यही है बुद्धिमान लोगों की पहचान।
इससे पहले मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन आचार्य मानतुंग देव द्वारा करीब 1400 वर्ष पूर्व आदिनाथ तीर्थंकर प्रभु की भक्ति में श्री भक्तामर स्तोत्र के 48 श्लोकों की रचना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मानतुंग देव ने प्रभु के प्रति उसकी ऐसी भक्ति थी कि उसके शरीर की सारी जंजीरें एक-एक करके टूट गईं। तब से सभी भक्त अपनी क्षमता के अनुसार भक्ति करते हैं तथा व्रत, उपासना, पूजन, विधान-पूजन आदि करते हैं।
श्री मानतुंग देव ने एक-एक अक्षर एकत्रित करके भक्तामर स्तोत्र के 48 श्लोकों की रचना की है। प्रत्येक श्लोक में 56 अक्षर हैं। इस प्रकार भक्तामर स्तोत्र में कुल 2688 अक्षर हैं। मुनि श्री ने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को 'ॐ ह्रीं नमः' तथा 'ॐ ह्रीं अर्हम्' नमः शांति मंत्र का जाप कराया। धर्मसभा में उपस्थित पत्रकार विक्रम कोठारी तथा फोटोग्राफर पंकज अग्रवाल का भी सम्मान किया गया।
स्रोत: जैन गजट, 28 जुलाई, 2024 पर-https://jaingazette.com/muni-shri-punya-sagar-ji-maharaaj-sasangh/
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James martin
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