परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज संसघ
25 शिष्यों सहित स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ नांदणी (महाराष्ट्र) चातुर्मास रत हैं | 2 नवंबर शनिवार 2024 को नांदणी में अध्यात्मिक गुरू चर्चा शिरोमणि विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ का भव्य पिच्छिका समारोह परम पूज्य जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामीजी नांदणी के अधिनेतृत्व में संपन्न होगा |
परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज संसघ
25 शिष्यों सहित स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ नांदणी (महाराष्ट्र) चातुर्मास रत हैं | 2 नवंबर शनिवार 2024 को नांदणी में अध्यात्मिक गुरू चर्चा शिरोमणि विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ का भव्य पिच्छिका समारोह परम पूज्य जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामीजी नांदणी के अधिनेतृत्व में संपन्न होगा |
दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति में प्रत्येक आचार्य, साधु, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक, क्षुल्लिकाजी के लिए संयम उपकरण के रूप में मयूर पिच्छिका अत्यंत आवश्यक व उपयोगी है। दैनिक क्रियाओं में परिमार्जन, मंगलाचरण, सामायिक, प्रतिक्रमण, आहार, विहार आदि समस्त क्रियाऐं बिना पिच्छिका के संभव ही नही है। किसी भी परिस्थिति में साधुजन बिना पिच्छिका के एक कदम भी नही चल सकते है और यदि बिना पिच्छिका के 7 कदम तक की दूरी तय कर भी ले तो आगमानुसार इसके लिए उन्हें अपने गुरु से प्रायश्चित भी लेना पड़ता है।
मयूर पंख में विद्यमान 5 गुणों के साथ ही आगम (शास्त्र) में आचार्य कुंद-कुंद स्वामी जी ने दिगम्बर श्रमणों के लिए मयूर पंख से निर्मित पिच्छिका का ही उल्लेख किया। है। मोर एक ऐसा पक्षी है जो कार्तिक मास के आसपास स्वतः ही अपने पंखो को छोड़ देता है, अतः मोर को बिना घात किए हुए व पूर्णतः अहिंसा के साथ ये पंख उपलब्ध हो जाते है। इसलिए इन मयूर पंखो से ही पिच्छिका का निर्माण किया जाता है।
नांदणी (महाराष्ट्र) 2024 चातुर्मास में चर्या शिरोमणी आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज जी के सहित संघ उनके 25 शिष्य-
1 श्रमण मुनि श्री सुव्रतसागर जी
2 श्रमण मुनि श्री अनुत्तरसागर जी
3 श्रमण मुनि श्री प्रणेय सागर जी
4 श्रमण मुनि श्री प्रणव सागर जी
5 श्रमण मुनि श्री सर्वार्थ सागर जी
6 श्रमण मुनि श्री साम्य सागर जी
7 श्रमण मुनि श्री संकल्प सागर जी
8 श्रमण मुनि श्री सद्भाव सागर जी
9 श्रमण मुनि श्री संजयंत सागर जी
10 श्रमण मुनि श्री यशोधर सागर जी
11 श्रमण मुनि श्री यत्न सागर जी
12 श्रमण मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर जी
13 श्रमण मुनि श्री निर्मोह सागर जी
14 श्रमण मुनि श्री निसंग सागर जी
15 श्रमण मुनि श्री निर्विकल्प सागर जी
16 श्रमण मुनि श्री जितेंद्र सागर जी
17 श्रमण मुनि श्री सुभग सागर जी
18 श्रमण मुनि श्री सिद्ध सागर जी
19 श्रमण मुनि श्री सिद्धार्थ सागर जी
20 श्रमण मुनि श्री सहर्ष सागर जी
21 श्रमण मुनि श्री सत्यार्थ सागर जी
22 श्रमण मुनि श्री सार्थक सागर जी
23 श्रमण मुनि श्री सार्थ सागर जी
24 श्रमण मुनि श्री समकित सागर जी
25 श्रमण मुनि श्री सम्यक सागर जी
नवयुवाओं में धर्म के प्रति आस्था जागृत करने के लिए, बालकों में जैन संस्कारों के बीजारोपण के लिए, वर्तमान के हिंसात्मक वातावरण में अहिंसा के महत्व को दर्शाने के निमित्त से ही पिच्छिका परिवर्तन कार्यक्रम का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है।
पिच्छी परिवर्तन समारोह के बाद चर्या शिरोमणी आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी ससंघ का विहार हसन पंचकल्याणक महोत्सव के लिए कर्नाटक प्रांत में होगा |
स्रोत- जैन गजट, 15 अक्टूबर 2024 पर: ------
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2 Comments
James martin
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