वर्षा योग कर रहे शांति वीर धर्म स्थल पर जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने अपने संबोधन में बताया
इस संसार में मनुष्य जन्म होने पर मुट्ठी बांधे आता है जब जाता है तब दोनों हाथ खाली जाता है
अपार धन संपदा कोठी बंगले आदि बनाकर जाते वक्त दोनों हाथों से वह खाली ही जाता है कोई भी संसार का बड़े से बड़े राजा महाराजा भी अपने साथ जन संपदा लेकर नहीं गया
वर्षा योग कर रहे शांति वीर धर्म स्थल पर जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने अपने संबोधन में बताया
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अपार धन संपदा कोठी बंगले आदि बनाकर जाते वक्त दोनों हाथों से वह खाली ही जाता है कोई भी संसार का बड़े से बड़े राजा महाराजा भी अपने साथ जन संपदा लेकर नहीं गया
मुनि ने बताया कि आज मनुष्य पर के पीछे भाग रहा है अपनी निज आत्मा के लिए समय ही नहीं निकल पा रहा जीवन का यही सत्य है धर्मसभा में जाने बैठने सुनने से धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है
लोगों के कल्याण के लिए ही साधु संत प्रतिदिन प्रवचन देकर धर्म का मार्ग बताते हैं अपनी पलकों को झुकाने पर दुनिया आपको पलकों पर बिठाएगी भगवान के चरणों में आने से मन पवित्र हो जाता है जब मनुष्य संसार से जाता है साथ मैं कुछ लेकर नहीं जाता केवल उसके किए गए सत्कर्म पुण्य कर्म धार्मिक कर्म ही साथ जाएंगे
सिकंदर के पास अपार धन संपदा की वह भी जब गया तो खाली हाथ ही गया था
स्रोत- जैन गजट, 15 अक्टूबर, 2024 पर: -----
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2 Comments
James martin
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