आचार्य रत्न विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य हँसमुख प्रतिभा के धनी मुनि श्री सुव्रत सागर महाराज जी का 15 वां मुनी दिक्षा दिवस नांदणी में मनाया |
आचार्य रत्न विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य हँसमुख प्रतिभा के धनी मुनि श्री सुव्रत सागर महाराज जी का 15 वां मुनी दिक्षा दिवस नांदणी में मनाया |
आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी मुनीन्द्र के मनीषी शिष्य क्षमा मूर्ति,सेवापुंज,मुनी श्री सुव्रत सागर जी महाराज हैं l गुरु मुख से झरे मोतियों की वे अपने कर्मठ हाथों से माला बनाते है l फिर गुरु परिवार की चेतना की मूर्ति को पहनाते है l
आप स्व के साथ पर के आत्मप्रदेश में ज्ञान के दीप प्रज्जवलित करते है l
आप ने अपने गुरु के अनमोल मोतियों को प्रसाद की तरह वितरित करने का बीड़ा उठाया है l जैसा कि आप की रुचि लेखन में है तो आप सब को बता दे कि आचार्य श्री ने अभी तक जितने ग्रंथो को लिखा(लगभग 120 से अधिक), चिंतन किया उन सब के संकलन कर्ता मुनि श्री सुव्रत सागर जी ही है l
श्रमण मुनि श्री सुव्रत सागर जी के जीवन परिचय –
पूर्व नाम :-बा. ब्रा.श्री भारत विजय जैन( भरतेश)
पिता श्री:- प्रकाश चंद्र जी जैन
माता :- श्री मति मुन्नी देवी जैन
जन्म स्थान:- आरोन ,जिला गुना
जन्म दिनाक:- 14 नबम्बर 1977
शिक्षा:- B.A. ,M.A.
ब्रा.ब्रत:- 2007
मुनि दीक्षा:- 14 अक्टूबर 2009
दीक्षा स्थल:- अशोकनगर
दीक्षा गुरु:- परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज
विशेषता – हिंदी टिकाकार, अध्ययन / लेखन में रुचि
उपाधी- साहित्याचार्य
आपके लघु भ्राता भी विश्व वंदनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ में मुनि श्री निस्सीम सागर जी है l
स्रोत- जैन गजट, 15 अक्टूबर, 2024 पर: -------
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.