News details

img समाचार

जैन श्रमण संस्कृति ,जिनागम व तीर्थों का संरक्षण आचार्य श्री शांतिसागर की देन– आचार्य श्री वर्धमान सागर

पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया पहुँचे शताब्दी महोत्सव में

चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर आचार्य पद

प्रतिष्ठापन शताब्दी महोत्सव में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

पारसोला

पारसोला में विराजमान वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमानसागर संसघ के मंगल सानिध्य में जैन समाज के तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री शांतिसागर महाराज के आचार्य पद प्रतिष्ठापन के शताब्दी महोत्सव के दूसरे दिन आज प्रातः काल जिनेंद्र प्रभु के अभिषेक – पूजन में श्रद्धालु उमड़ पड़े। इसके बाद श्रुतदेवी को रजत पालकी में विराजित कर भव्य प्रभावना जुलुस सन्मति नगर से शांतिसागरम धाम पहुंचा । जुलूस में सबसे आगे बालिका मंगल कलश लिए इसके बाद दक्षिण भारत के ढोल नगाड़ों व शहनाई वादक इसके ससंघ व पुरुष व महिलाएं नाचते गाते माँ जिनवाणी के जयकारें लगाते चल रहे थे । शांतिसागरम में लगे आचार्य शांतिसागर चल छाया चित्र प्रदर्शनी का ससंघ ने अवलोकन किया । इसके बाद सौधर्म इन्द्र सहित समस्त इन्द्र इन्द्राणी द्वारा श्रुत देवी का आभूषण से अलंकृत कर महाअर्चना करते हुए अर्घ्य समर्पित किया गया । मुनि श्री पुण्य सागर जी, मुनि श्री अपूर्वसागर जी द्वारा प्रथमाचार्य के प्रति विनयांजलि दी गई । सातगौंडा से शांतिसागर फ़िल्म के निर्देशक आशा नरेश मालवीय सलूम्बर व विनय कुमार अनंत कुमार बड़जात्या किशनगढ़ ने फ़िल्म का ट्रेलर लॉन्च किया ।

दोपहर में पंजाब के महामहिम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने शताब्दी महोत्सव में भाग लिया और आचार्य ससंघ से आशीर्वाद प्राप्त किया । स्थानीय जैन समाज के जयंतीलाल कोठारी व शताब्दी महोत्सव के ऋषभ लाल ने राज्यपाल कटारिया का अभिनन्दन किया गया । राज्यपाल कटारिया ने धर्म शिक्षा व वृजसेन पुस्तक का विमोचन किया । कटारिया ने जैन धर्म के महाव्रत व संयमित जीवन को आधार बनाकर आमजन से आचार्य श्री शांतिसागर जी के जीवन चरित्र को अपनाने का आह्वान किया ।

आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने धर्मदेशना में बताया कि आज पूरे भारत में जैन श्रमण संस्कृति व जिनागम  प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी की देन है। कार्यक्रम में उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन सलूम्बर पूर्व जिला प्रमुख छगनलाल जैन 18 हज़ार दशा हुमड़ समाज अध्यक्ष दिनेश खोड़निया ,शताब्दी महोत्सव के राजेन्द्र कटारिया, अनिल सेठी,संजय पपडीवाल व सलूम्बर, धरियावद, निवाई ,सीकर,जोबनेर सहित 72 गाँवो के पंच सहित हज़ारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया । रात्रि में मंगल आरती व प्रसिद्ध संगीतकार रूपेश जैन ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं ।

सातगौंडा से शांतिसागर तक : आचार्य श्री शांतिसागर का जन्म 23 जुलाई 1872 को येलगुल जिला बेलगाँव कर्नाटक, पिता भीमगोडा पाटिल नाता सत्यवती पाटिल ऐलक दीक्षा 1919 मुनि दीक्षा 1920 आचार्य पद 1924 में समडोली कर्नाटक दक्षिण से उत्तर भारत मे विहार कर विषम परिस्थितियों में जैन श्रमण संस्कृति, जीर्ण शीर्ण होती जिनवाणी व तीर्थो का संरक्षण किया । 36 वर्ष के मुनिचर्या काल में 9938 उपवास, करीब 27 वर्ष तक अन्न जल नहीं लिया । मुनिचर्या का स्वतंत्र पैदल विहार का पूरे भारत वर्ष मे मार्ग प्रशस्त किया । आचार्यश्री ने कुल 88 दीक्षाएं प्रदान की थी । समकालीन मुनियों को आगम का ज्ञान करवाया । आचार्य श्री शांतिसागर ने कुंथलगिरी महाराष्ट्र में 36 दिन की सल्लेखना लेकर समाधि हुई । आचार्य श्री शांतिसागर बाल ब्रह्मचारी अक्षुण्ण पट्ट परम्परा के पहले आचार्य श्री वीरसागर जी ,दूसरे आचार्य श्री शिवसागर जी,तीसरे आचार्य श्री धर्मसागर जी,चौथे आचार्य श्री अजितसागरजी व पांचवे वर्तमान में आचार्य श्री वर्धमानसागर जी द्वारा ससंघ को चला रहे हैं ।

स्रोत- जैन गजट, 15 अक्टूबर, 2024 पर: -------

icon

Children education manual .pdf

2 Comments

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

Leave a comment