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लखनऊ में गणाचार्य श्री विरागसागर व्यक्तित्व-कृतित्व राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न

परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज , मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के मङ्गल सान्निध्य में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सआदतगंज लखनऊ में व्यक्तित्व-कृतित्व राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया।

परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज , मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के मङ्गल सान्निध्य में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सआदतगंज लखनऊ में डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत के निर्देशन व डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर के संयोजकत्व में 21 व 22 सितंबर 2024 को दो दिवसीय गणाचार्य श्री विरागसागर व्यक्तित्व-कृतित्व राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। जिसमें देश के मूर्धन्य मनीषी विद्वानों ने गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज के व्यक्तित्व-कृतित्व पर अपने आलेख प्रस्तुत किए।

21 सितंबर को प्रातः 8 बजे से संगोष्ठी का उदघाटन सत्र किया गया। सर्वप्रथम मंगलाचरण पंडित अनिल शास्त्री सागर ने किया इसके बाद संगोष्ठी में समागत विद्वानों ने आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन किया।

संचालन संगोष्ठी के संयोजक डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर ने किया किया। सत्र की अध्यक्षता डॉ श्रेयांस कुमार जैन बडौत ने की। सारस्वत अतिथि प्रोफेसर विजय कुमार जैन दिल्ली रहे। चातुर्मास समिति के संजीव जैन ने विद्वानों के लिए स्वागत भाषण किया।

इस सत्र में डॉ. शीतल चंद्र जैन जयपुर, डॉ ज्योति जैन खतौली व डॉ. सनत जैन जयपुर ने अपने आलेख प्रस्तुत किए।

इसके बाद मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज के समीक्षात्मक प्रवचन हुए जिसमें उन्होंने गणाचार्य विरागसागर जी महाराज को श्रमण संस्कृति का दैदीप्यमान नक्षत्र बताया।

दोपहर का सत्र दोपहर दो बजे से शुरू हुआ। जिसकी अध्यक्षता डॉ. शीतल चंद्र जैन जयपुर ने की। सारस्वत अतिथि डॉ सनत कुमार जैन जयपुर रहे। संचालन डॉ. सुरेन्द्र जैन भारती बुरहानपुर ने किया। मंगलाचरण डॉ. रांका जैन लखनऊ ने किया।

इस सत्र में डॉ. नरेंद्र जैन टीकमगढ़, प्रोफेसर विजय कुमार जैन लखनऊ, डॉ. आशीष जैन दमोह, पंडित अनिल जैन शास्त्री सागर, पंडित अखिलेश शास्त्री रामगढ़ा ने अपने आलेख प्रस्तुत किए।

महासभा ने किया विद्वानों का सम्मान : इस मौके पर अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा (तीर्थ संरक्षिणी)  की ओर से भी विद्वानों का स्वागत शाल, श्रीफल, माला और साहित्य भेंटकर महासभा के उपाध्यक्ष संजीव जैन, संयुक्त महामंत्री कमल रावका आदि ने किया ।

22 सितंबर को प्रातः तृतीय सत्र की अध्यक्षता डॉ नरेन्द्र जैन टीकमगढ़,  सारस्वत अतिथि डॉ. ज्योति जैन खतौली, संचालन डॉ. पंकज जैन इंदौर ने किया। मंगलाचरण पंडित सुनील सुधाकर ने किया ।

आलेख पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस, डॉ. सुरेंद्र जैन भारती बुरहानपुर, प्रोफेसर फूलचंद्र जैन प्रेमी वाराणसी, डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत ने प्रस्तुत किए।

जैन गजट के गणाचार्य विराग सागर विनयांजलि विशेषांक का विमोचन : इस मौके पर जैन गजट लखनऊ द्वारा प्रकाशित  गणाचार्य श्री विरागसागर विनयांजलि विशेषांक का विमोचन भव्य तरीके से किया गया।

चतुर्थ सत्र दोपहर 2 बजे से शुरू हुआ। अध्यक्षता प्रोफेसर फूलचंद्र जैन प्रेमी वाराणसी, सारस्वत अतिथि डॉ. शीतल चंद्र जैन जयपुर,संचालन पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस ने किया।

इस सत्र में आलेख डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर, पंडित सुनील जैन सुधाकर सागर, डॉ. पंकज जैन इंदौर ने प्रस्तुत किए।

इसके बाद  आयोजन समिति द्वारा विद्वानों का भव्य सम्मान  चातुर्मास समिति के अध्यक्ष हंसराज जैन, कार्याध्यक्ष जागेश जैन, संयोजक संजीव जैन

श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सआदतगंज लखनऊ के अध्यक्ष वीरेन्द्र गंगवाल, महामंत्री प्रमोद गंगवाल, मंत्री मनोज छाबड़ा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विमलचंद बाकलीवाल, धर्मशाला प्रबंधक विकास जैन काला, कोषाध्यक्ष किशन गंगवाल, रितेश रावका, कमल रावका, प्रमोद जैन, विनय जैन, चित्रा जैन आदि ने किया।

आयोजन समिति को संगोष्ठी में प्रस्तुत आलेख भेंट किए गए जो पुस्तिकाकर में प्रकाशित होंगे।

इस अवसर पर जैन गजट का 28 अप्रैल 2025 व अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद का  प्रमुख पत्र बुलेटिन का आगामी अंक आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज विशेषांक के रूप में मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज की प्रेरणा से प्रकाशन की घोषणा की गई।

इस मौके पर मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने कहा कि गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज का व्यक्तित्व और कृतित्व स्तुत्य है। उनका श्रमण संस्कृति के लिए अवदान अविस्मरणीय है। उनकी समाधि को सभी  संतों, विद्वानों और समाज ने उत्कृष्ट बताया। उन्हें आज हम सभी समाधिवीर की उपाधि से अलंकृत करते हैं।

मुनिश्री की बात का सभी विद्वानों ने करतल ध्वनि से समर्थन किया।

स्रोत- जैन गजट, 27 सितंबर, 2024 पर: https://jaingazette.com/lucknow-mai-ganacharya-shri-viragsagar/

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