पर्वराज पर्युषण महापर्व के सुअवसर पर चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के मंगलशुभाशीष से परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभसागरजी महाराज, मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के सान्निध्य में 08 सितम्बर से 17 सितम्बर 2024 तक उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में भव्य समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर का आयोजन पहली बार सम्पन्न हुआ।
पर्वराज पर्युषण महापर्व के सुअवसर पर चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के मंगलशुभाशीष से परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभसागरजी महाराज, मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के सान्निध्य में 08 सितम्बर से 17 सितम्बर 2024 तक उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में भव्य समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर का आयोजन पहली बार सम्पन्न हुआ। जिसमें लगभग 250-300 महिला-पुरुष शिविरार्थियों ने संयम, तप, त्याग की साधना दसलक्षण पर्व के इन दस दिनों में पूर्ण की।
शिविर में प्रातः काल 4.30 बजे से ही जहाँ शारीरिक स्वास्थ्य के लिये योगाचार्य राजेश जैन, नाशिक (महा.) ने योगविधा प्रदान की तो वहीं मुनि श्री ने मानसिक एवं आत्मिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान के माध्यम से जीवन जीने की विधि सिखाई।
प्रभू भक्ति, पर्व, प्रवचन आदि के द्वारा पूज्य मुनि श्री ने जीवन की उत्कृष्टता के अनेक आयाम श्रावकों को दिये । तत्वार्थसूत्र विवेचन, जैनिस्टक साइंस (वीतरागविज्ञान) से जैन-आगम गूढ़ रहस्य उद्घाटित किये।
पर्वराज दसलक्षण का विवेचन करते हुए मुनि श्री सुप्रभसागरजी ने कहा कि जो आत्मा को आत्मा से जुड़ने का मार्ग प्रदान करे, वह पर्व है और पर्वों में भी श्रेष्ठ पर्व, जो आत्मा को चारों ओर से तप, साधना की उष्णता प्रदान करते हुए जो आत्मा की कर्मों के से मुक्ति का मार्ग दिखाये, वही पर्वराज पर्युषण है। धर्म के जो दसलक्षण आचार्यों ने कहे हैं, वह वास्तव में उत्कृष्टता से दिगम्बर मुनि के ही होता है।
अन्तिम दिवस उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के दिन श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें श्री जिनेन्द्र भगवान के साथ मुनिश्री के सानिध्य में समस्त शिविरार्थी पंक्तिबद्ध होकर इस शोभायात्रा में शामिल हुए। श्री गणेश प्रसाद वर्णी गुरुकुल सिद्धक्षेत्र अहारजी टीकमगढ़ (म.प्र.) के विद्यार्थियों ने अपनी कुशल प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
शिविर में महिला शिविरार्थी के रूप में प्रथम स्थान डा० किमी जैन मड़ावरा, द्वितीय श्रीमती ज्योति जैन-विदिशा, तृतीय श्रीमती सुधाजैन- सागर एवं सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार प्राची जैन सुपुत्री संजीव जैम-लखनऊ ने प्राप्त किया किया तो पुरुष शिविरार्थियों में प्रथमस्थान अयन जैन- सागर, द्वितीय स्थान दिलीप जैन-कुंभराज, तृतीय स्थान जिनेन्द्र जैन उज्जैन एवं मोहित जैन, सागर एवं प्रथमेश जैन-वाशिय (महा.) ने प्राप्त किया। क्षमावाणी के साथ ही समयसारीपासक साधना संस्कार शिष्य शिविर का समापन हुआ और समस्त दिगम्बर- श्वेताम्बर श्रावक- श्राविकाओं की उपस्थिति में सामूहिक क्षमावाणी सम्पन्न हुई जिसमें मुनिश्री ने कहा कि व्यवहारिक मात्र क्षमावाणी नहीं है क्योंकि हम व्यवहारिकता में शब्दों की क्षमा तो माँग लेते हैं लेकिन जिनके प्रति हमने अपराध किया, जिनका हृदय दुःखाया उनसे क्षमा नहीं मांग पाते इसलिए क्षमावाणी व्यवहारिकता की नहीं अपितु आत्मीयता के साथ होनी चाहिये। इस अवसर पर अमृतोद्भव पावसयोग समिति के अध्यक्ष हंसराज जैन एवं कार्याध्यक्ष जागेश जैन एवं संयोजक संजीव जैन ने भी सभी से क्षमायाचना की। शिविर श्री पार्श्वनाथ धाम ट्रस्ट, काकोरी, अमेठिया लखनऊ में सम्पन्न हुआ।
स्रोत- जैन गजट, 24 सितंबर, 2024 पर: https://jaingazette.com/shamavani-k-sath-hua-samaysaropasak-sadhna/
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.